Thursday 7 March 2013

जिंदगी का दूसरा नाम पैसा



आज समूचे समाज में पैसा ही इन्शान की जिन्दगी बन चूका है पैसे के पीछे इन्सान सिर्फ भागता नजर आ रहा है आज पैसे को हमने अपनी कमजोरी क्यों बना लिया है शायद इसका जबाब हमारे पास भी न हो एक समय वो भी था जब लोग अच्छे खानपान रहन सहन मन मर्यादा ऐसो आराम के लिए मरते थे परन्तु आज  हर व्यक्ति सिर्फ पैसे के किए मरता नजर आता है क्योंकि इन्सान ने पैसे को ही  अपना सम्पूर्ण जीवन जो मान लिया  है . वो चाहे बिजनेस मैन हो या नौकरी पेशा व्यक्ति सब सिर्फ पैसे को ही महत्व देते है ये चाहे जितना भी कमा लें पर कमाया हुआ पैसा इन्हें हमेशा कम ही नजर आता है, अगर हम सच्चाई देखें तो एक इन्सान को 24 घंटे में सिर्फ थोडा सा भर पेट अच्छा खाना और अच्छा पहनना ही चाहिए होता है परन्तु वह अन्य एशो आराम के लिए इतना पैसा कमाना चाहता है जिसकी सीमा वह स्वयं नही जान पाता है .
आज का इन्सान सारी  सुख सुविधाओ से लैस होने के बावजूद खुद को गरीब कहने में नही हिचकता क्योंकी वह खुद को दुसरे से गरीब मानता है . मेरा मानना है की जिस दिन समूचे समाज का हर व्यक्ति खुद को अमीर मानने लगेगा उस दिन समाज से गरीबी अपने आप मिट जाएगी .

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