Wednesday 8 August 2012

कहीं हम भी तो भ्रष्ट नही

आज हमारे देश में हर कोई भ्रस्ताचार के खिलाफ मुहीम छेड़ रखे है, जहाँ कही भ्रस्ताचार के खिलाफ बात होती है वहाँ हर इन्सान भ्रस्ताचार के खिलाफ खड़े होने की बात स्वीकारता नजर आता है, पर क्या आपने कभी सोचा है कि जिस भ्रस्ताचार को हम जड़ से मिटाने की बात कर रहे है कही उसमे हम भी तो लिप्त नहीं है,जी हाँ हम भी हैं,पर यह हम कभी अपने मुहँसे स्वयं को नहीं कह सकते क्योकि हमारी आत्मा हमारा जमीर हमें कभी भ्रष्ट माननेके लिए नहीं स्वीकारेगा हाँ दुसरे को हम भ्रष्ट कह सकते है, क्योंकि उसके अन्दर की कमियां उसके अन्दर छिपा भ्रष्ट चेहरा हमे तुरंत  दिखाई पढ़ जाता है, परन्तु हमारे अन्दर का भ्रष्टाचार हमे नही दिखाई देता
मेरा तो मानना है की समाज का हर व्यक्ति भ्रष्टाचार में लिप्त है और वह भ्रष्ट भी है , परन्तु शायद आप इसे न स्वीकारे , भ्रष्टाचार का अर्थ क्या है, शायद न आप को ठीक से पता है, न ही मुझे, मेरे हिसाब से वह हर कार्य भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है जिसे हम अपनी शुख सुबिधा के लिए दुसरे को तकलीफ में डालकर करतें है, आज इस आधुनिक युग में हमारी जरूरते इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है की हम हर जगह जिन्दगी में शार्ट कट ही ढूढ़ते नजर आते है, सिर्फ अपनी सुख सुबिधाओं के लिए, जिससे हम आगे तो बढ़ते है पर हमार रास्ता गलत होता है, हम तमाम जगहों पर बिरोध - प्रदर्शन अनशन सत्याग्रह आन्दोलन जैसे हथकंडो द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम  तो छेड़ते है परन्तु उस मुहीम  को कितना सफल बना पाते है, यह तो आप जानते है, आखिर क्यों ? क्योंकि कहीं न कहीं हम स्वयं भ्रष्ट है, हम और आप एक ग्राम प्रधान से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक को भ्रष्ट कहने में संकोच नही करते  पर आपने कभी यह जानने की कोसिस की है की अगर आज हमारे देश के नेता भ्रष्ट है तो उसके पीछे कारण कौन है ? कोई दूसरा नही स्वयं हम उन्हें भ्रष्ट बनाने के जिम्मेदार है , बस अंतर इतना है की वो बड़े भ्रष्ट है और हम छोटे,आप सोच रहे होंगे की ये तो सरासर इल्जाम है जी हाँ एक बार आप इसे इल्जाम ही मानकर अपने ऊपर लेकर तो देखो आपकी आत्मा खुद ही यही कहेगी की तुम गलत हो, और वह गलत रास्ता तुम सिर्फ अपनी जरा सी सुबिधाओं के लिए अपनाते हो जो तुम्हारे साथ-साथ कईयों को भ्रष्ट की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देता है , कुछ लोग तो गलत ढंग से कमाए जाने वाले पैसे को ही सिर्फ भ्रष्ट की श्रेणी में मानते है, परन्तु मेरे हिसाब से पैसा गलता ढंग से कैसे आया,. गलत कम करके , इसलिए वह हर गलत कम जो अपनी सुख - सुबिधाओं के लिए किया जाता है वह भ्रष्टचार की श्रेणी में आता है, भ्रष्टाचार पर रोक लग सकती है, इसे पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है परन्तु न किसी आन्दोलन से न सत्याग्रह से, न ही बिरोध - प्रदर्शन से इसे समाप्त करने के लिए हमारे देश में हर छोटे - बड़े, गरीब - अमींर नागरिक को अपनी सुख - सुबिधाओं के लिए शार्ट कट रास्तों को बंद करके, नियम और सिस्टम के अनिसार चलना होगा, सही को सही गलत को गलत मानना होगा, सभी को एक निगाह से देखना होगा तभी जाकर इस भ्रष्टाचार रुपी राक्षस का खात्मा हो पाएगा,