Thursday 11 October 2012

क्या हम दो - हमारे दो को कानूनी जामा पहनाना होगा ?


आज हम लगभग  सवा अरब के करीब पहुंच चुके  है फिर भी आपस में होढ लगी है की कौन आगे है पर हम सायद यह नही जानते की हमारी बढ़ती आबादी भी कहीं न कहीं हमारे विकास में सबसे बड़ी बाधक  है 
आज हमारा भारत विश्व के मानचित्र पर सायद दुसरे या तीसरे नंबर पर हो पर आबादी में, क्योंकि आज भी हम अपने देश को अगर कुछ दे पा रहे है तो वह है जनसँख्या वृद्धी जो की हमारे लिए ही कहीं न कहीं घातक  सिद्ध हो रही है और आगे और भी होगी 
क्या हमने कभी सोंचा है की आज हम जिस महंगाई, आर्थिक समस्या, विकास ,युद्ध, अपराध , भरष्टाचार आदि जैसी महत्वपूर्ण समस्याओं से लड़ रहे है उसके पीछे मुख्य कारन कौन है वह है हमारे देश की निरंतर तेजी से बढ़ रही जनसंख्या सिर्फ कहने को हम साक्षर है परन्तु बच्चे पैदा करने में हम निरक्षर हो जाते है हमने एक स्लोगन बनाया था  बहुत दिन पहले हम दो हमारे दो पर हम जब खुद ही दो से ज्यादा होने की सोंचते है तो हमारे दो तो अपने आप ही तीन - चार से ज्यादा हो जायेंगे .
इन सबके पीछे सबसे मजे की बात तो यह है की हम एक दुसरे पर आरोप  लगाते  नजर आते है की वह गलत है, हमने किया तो क्या गलत किया हिन्दू कहता  है  की अगर मुसलमान ज्यादा बच्चे पैदा कर सकत है तो हम क्यों नही, वहीं मुसलमान  कहता है  की हमारा तो धर्म हमें इसकी इजाजत देता है परन्तु  दोनों यह नही जानते  की दोनों गलत है और उनकी यह गलती उन्ही के लिए हानिकारक है ! आज हमारी सरकार जनसँख्या बृद्धि को रोकने के लिए साल में अरबों रूपये खर्च कर रही है जिसके अंतर्गत कई महत्व पूर्ण ज्ञान दाई योजनायें सरकार द्वारा चलाई जा रही है परन्तु मुझे तो लगता है की साल में खर्च होने वाला यह रूपया व्यर्थ ही जाता  है ! क्या आपको नही लगता की देश की जनसँख्या वृद्धि रोकने के लिए हमे रूपये खर्च करने की जरूरत है ! मेरे हिसाब से यह तो हर व्यक्ति को खुद  से सोंच कर और इस पर अमल करते हुए देश की बढ़ती जनसंख को रोकना चाहिए 
मेरा मानना है की अगर  आज हमारे देश की बढ़ती जनसँख्या पर अंकुश लगेगा तो हम शीघ्र ही एक ऐसी  प्रगति की ओर बढ़ने लगेंगे जिसके बारे में आज हम सिर्फ सोंच सकते है और अन्य देशों को उसकी तरफ बढ़ते देखते है 
जनसँख्या नियंत्रण से हमें अपने ही देश में फैली अराजकता मंहगाई ख़राब अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने में बल मिलेगा !
हर भारतवासी को यह प्रण लेना होगा की हमारे दो ही बच्चे हों चाहे वह लड़का हो या लड़की तभी हम तेजी से बढ़ती जनसँख्या को रोक पाने में सक्षम होंगे वरना आने वाले समय में हमें भी अपने कुछ पड़ोसी मुल्को की तरह संविधान द्वारा कानून बनाना पड़ेगा जो हमे दो बच्चे ही पैदा करने पर बाध्य करता रहेगा 
पर यदि हम इस विषय पर खुद से अमल करना शुरू कर दें तो ज्यादा अच्छा रहेगा !


Saturday 6 October 2012

रिश्तो से बड़ी शराब


रोज शाम होते ही सारे दोस्त इकट्ठा होने लगते है और शाम रंगीन करने की बात आपस में करने लगते है पर मेरे पहुँचते ही सुनील कहता है की लो आ गये महात्मा जी अभी लेक्चर देंगे और सबका मूड ऑफ करेंगे कपिल कहता है की न तो पीते है और अगर हम इन्जोय करना चाहते है तो उसमे भी अपनी टांग अड़ाते है .

जी हाँ आप सोच रहे होंगे की यह कोई कहानी सुना रहा हूँ  मैं पर ये कहानी लगभग हर जगह दोस्तों के ग्रुप में शराब पीने को लेकर दोहराई जाती है जिसमे हर शाम शराब पीने वाले हर दोस्त को न पीने वाला दोस्त समझाता नजर आता है .

आज शराब पीने की आदत ने हमारे कई भाइयों व दोस्तों के घर को उजाड़ दिया है चाहे वह अमीर हो या गरीब  शराब रोजाना एक नए अपराध को जन्म देती है और जब सुबह नशा उतरता है तो अपराधी को बहुत ही पछतावा होता है और तमाम कसमे खाने लगता है शराब न पीने की परन्तु आने वाली शाम उसे हर कसम भूलने पर मजबूर कर देती है और पीछे घट चुकी घटना की नई शराब की बोतल के साथ अँधेरे में खो जाने पर मजबूर कर देती है .

आज हमारे देश के नौजवान शराब पीने को अपना शौक तो मानते ही है साथ ही उसे स्टेटस सिम्बल मानना भी अपनी शान समझते है .

 आपको ध्यान होगा की पीछे मैंने कहा था  की मेरे आते ही --------------------------------- इससे मेरा मतलब है की आज भी लगभग हर पीने वाले ग्रुप में कोई न कोई न पीने वाला दोस्त भी होता है जो पीने वाले दोस्तों को पीने के बाद सँभालने और होश में आने पर दोबारा न पीने के लिए समझाने का काम करता है पर शराब! वो तो दोस्ती रिश्ते सबको दांव पर लगाकर हमेशा अपनी ही जीत की ख़ुशी मनाती नजर आती है अधिकतर शराब पीने वालो के जीवन में बीबी बच्चे माँ बाप भाई बहन से भी ज्यादा करीबी रिश्ता शराब से ही होता है जो उनके जीवन को सभी रिश्तों से दूर करके एक नया रिश्ता दिखाता नजर आता है पर रास्ता कहाँ जा रहा है यह न पीने वाला जानता है और न शराब जानती है .

अक्सर  आपने देखा होगा की पीने वाले लोग एक दुसरे को दोष देते नजर आते है की साले को बहुत मना  किया की आज नही पीने का मूड है पर साला माना ही नही जबरदस्ती पिला दी पर मैं कभी जबरदस्ती जैसे शब्द पर बहुत कम यकीं करता हूँ क्योंकि क्या कोई जबरदस्ती करेगा अगर हम जबरदस्ती करवाना न चाहें .

आज हमारे देश को शराब की बिक्री से बहुत फायदा है पर सारा नुकशान तो वे झेलते है जो शराबियों के करीब होते है अब वे चाहे उनके दोस्त या रिश्तेदार हो या फिर अपने पूरे होशोहवाश में उनके नजदीक से गुजरने वाले लोग .

मेरा मानना है की आज अगर शराब पीने वाले शराब पीना छोड़ दें तो कई दोस्त दोस्तों पर अपना विश्वाश जमा लेंगे खुद को कमजोर समझने वाली पत्नियों को एक नई ताकत मिलेगी बूढ़े माँ बाप को एक सहारा मिलेगा साथ ही बेबस मासूम बच्चों के चेहरे पर एक पर एक नई ख़ुशी होगी परन्तु क्या ये सब इतना आसान है, इसका जबाब तो एक शराब पीने वाला ही दे सकता है 

हमारे देश के कई राज्यों में शराब बंद होने से राज्यों को आर्थिक नुकशान तो जरूर हुआ है परन्तु कितने घरों के चिराग बुझने से पहले फिर से रोसन हो गए है जो अपने परिवार को एक नई दिशा देने में आज अपना पूरा योगदान दे रहे हैं 

अब फैसला आपके हाँथ में है की शराब अपनी है की रिश्ते .