Saturday, 6 October 2012

रिश्तो से बड़ी शराब


रोज शाम होते ही सारे दोस्त इकट्ठा होने लगते है और शाम रंगीन करने की बात आपस में करने लगते है पर मेरे पहुँचते ही सुनील कहता है की लो आ गये महात्मा जी अभी लेक्चर देंगे और सबका मूड ऑफ करेंगे कपिल कहता है की न तो पीते है और अगर हम इन्जोय करना चाहते है तो उसमे भी अपनी टांग अड़ाते है .

जी हाँ आप सोच रहे होंगे की यह कोई कहानी सुना रहा हूँ  मैं पर ये कहानी लगभग हर जगह दोस्तों के ग्रुप में शराब पीने को लेकर दोहराई जाती है जिसमे हर शाम शराब पीने वाले हर दोस्त को न पीने वाला दोस्त समझाता नजर आता है .

आज शराब पीने की आदत ने हमारे कई भाइयों व दोस्तों के घर को उजाड़ दिया है चाहे वह अमीर हो या गरीब  शराब रोजाना एक नए अपराध को जन्म देती है और जब सुबह नशा उतरता है तो अपराधी को बहुत ही पछतावा होता है और तमाम कसमे खाने लगता है शराब न पीने की परन्तु आने वाली शाम उसे हर कसम भूलने पर मजबूर कर देती है और पीछे घट चुकी घटना की नई शराब की बोतल के साथ अँधेरे में खो जाने पर मजबूर कर देती है .

आज हमारे देश के नौजवान शराब पीने को अपना शौक तो मानते ही है साथ ही उसे स्टेटस सिम्बल मानना भी अपनी शान समझते है .

 आपको ध्यान होगा की पीछे मैंने कहा था  की मेरे आते ही --------------------------------- इससे मेरा मतलब है की आज भी लगभग हर पीने वाले ग्रुप में कोई न कोई न पीने वाला दोस्त भी होता है जो पीने वाले दोस्तों को पीने के बाद सँभालने और होश में आने पर दोबारा न पीने के लिए समझाने का काम करता है पर शराब! वो तो दोस्ती रिश्ते सबको दांव पर लगाकर हमेशा अपनी ही जीत की ख़ुशी मनाती नजर आती है अधिकतर शराब पीने वालो के जीवन में बीबी बच्चे माँ बाप भाई बहन से भी ज्यादा करीबी रिश्ता शराब से ही होता है जो उनके जीवन को सभी रिश्तों से दूर करके एक नया रिश्ता दिखाता नजर आता है पर रास्ता कहाँ जा रहा है यह न पीने वाला जानता है और न शराब जानती है .

अक्सर  आपने देखा होगा की पीने वाले लोग एक दुसरे को दोष देते नजर आते है की साले को बहुत मना  किया की आज नही पीने का मूड है पर साला माना ही नही जबरदस्ती पिला दी पर मैं कभी जबरदस्ती जैसे शब्द पर बहुत कम यकीं करता हूँ क्योंकि क्या कोई जबरदस्ती करेगा अगर हम जबरदस्ती करवाना न चाहें .

आज हमारे देश को शराब की बिक्री से बहुत फायदा है पर सारा नुकशान तो वे झेलते है जो शराबियों के करीब होते है अब वे चाहे उनके दोस्त या रिश्तेदार हो या फिर अपने पूरे होशोहवाश में उनके नजदीक से गुजरने वाले लोग .

मेरा मानना है की आज अगर शराब पीने वाले शराब पीना छोड़ दें तो कई दोस्त दोस्तों पर अपना विश्वाश जमा लेंगे खुद को कमजोर समझने वाली पत्नियों को एक नई ताकत मिलेगी बूढ़े माँ बाप को एक सहारा मिलेगा साथ ही बेबस मासूम बच्चों के चेहरे पर एक पर एक नई ख़ुशी होगी परन्तु क्या ये सब इतना आसान है, इसका जबाब तो एक शराब पीने वाला ही दे सकता है 

हमारे देश के कई राज्यों में शराब बंद होने से राज्यों को आर्थिक नुकशान तो जरूर हुआ है परन्तु कितने घरों के चिराग बुझने से पहले फिर से रोसन हो गए है जो अपने परिवार को एक नई दिशा देने में आज अपना पूरा योगदान दे रहे हैं 

अब फैसला आपके हाँथ में है की शराब अपनी है की रिश्ते .

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